जगमगा उठे 'रवि' फ़िर, ऐसी दोपहर चाहिये। जगमगा उठे 'रवि' फ़िर, ऐसी दोपहर चाहिये।
मौत से डर लगे भला क्यूँ, यूँ ही मरता रहा हूँ मैं हर रोज़। मौत से डर लगे भला क्यूँ, यूँ ही मरता रहा हूँ मैं हर रोज़।
गोदी में सर रख सुला दो ना तुम, मुझे फ़िर से मुझे ही मिला दो ना तुम। गोदी में सर रख सुला दो ना तुम, मुझे फ़िर से मुझे ही मिला दो ना तुम।
जब तक दिल ना मिलें, वो मुलाक़ात नहीं समझेंगे, जब तक दिल ना मिलें, वो मुलाक़ात नहीं समझेंगे,
ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताएँ.... ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताएँ....
भुलाकर सारे रंज-ओ-ग़म, एक बार फिर से मुस्कुराना चाहता हूँ मैं। भुलाकर सारे रंज-ओ-ग़म, एक बार फिर से मुस्कुराना चाहता हूँ मैं।